राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के `बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को अनुमोदित करके यह सिद्ध कर दिया है कि अपनी स्थापना के सौ साल बाद भी वह बिल्कुल नहीं बदला है। उसका डीएनए हिंसा और नफ़रत वाला ही है और वह उसी भाषा में सोचता है। बल्कि अगर कहा जाए कि वह किसी और भाषा में सोच ही नहीं पाता तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिस तरह कोई हिंदी भाषी किसी विचार को पहले हिंदी में सोचता है और बाद में अंग्रेजी में अनूदित करता है या अंग्रेजी भाषी पहले उसे अंग्रेजी में सोचता है फिर उसे हिंदी या किसी और भाषा में व्यक्त करता है। उसी तरह आरएसएस और उसके एजेंडा को बढ़चढ़ कर लागू करने वाले सोचते दंगे वाली भाषा में ही हैं। बाद में उसे सभ्यता, मर्यादा, शांति और सद्भाव का जामा पहना दिया जाता है।