क्या हर किसी संपादक की गिरफ़्तारी अनिवार्यत: वाणी की स्वतंत्रता और मीडिया की आज़ादी पर हमला होगी? क्या हर संपादक जो गिरफ़्तार होगा उसके पक्ष में मीडिया के दिग्गजों को खड़ा होना चाहिये? क्या ये कोई रस्म है जो हर बार निभाई जानी चाहिये? ये सवाल दरअसल पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा से जुड़े हैं।