मेरे विचार में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोयान द्वारा प्रसिद्ध हागिया सोफ़िया को मसजिद में बदलने का फ़ैसला एक प्रतिक्रियावादी क़दम है, और इसकी निंदा की जानी चाहिए।
मसजिद, चर्च, मंदिर की जगह अच्छे स्कूल, वैज्ञानिक संस्थानों की ज़रूरत है
- विचार
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- 29 Mar, 2025

मैं कहना चाहता हूँ कि आज जिन चीज़ों की आवश्यकता है वे मसजिद, चर्च या मंदिर नहीं, बल्कि अच्छे स्कूल, वैज्ञानिक संस्थान, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, अस्पताल आदि हैं जो देश को आगे ले जाएँगे, न कि हागिया सोफ़िया को मसजिद बनाने के क़दम जो एक राजनीतिक स्टंट से अलग कुछ नहीं है।
एर्दोयान ने यह नौटंकी इसलिए की क्योंकि तुर्की की अर्थव्यवस्था तेज़ी से डूब रही है। बेरोज़गारी एक रिकॉर्ड ऊँचाई पर है और तुर्क बड़ी संख्या में तुर्की छोड़कर दूसरे देशों में रोज़गार की तलाश के लिए पलायन कर रहे हैं। नतीजतन, एर्दोयान की लोकप्रियता तेज़ी से कम हो रही है।
1920 के दशक के प्रारंभ तक तुर्की एक ग़रीब, पिछड़ा, सामंती देश था, जो एक सुल्तान के शासन का नतीजा था जिसने इसे अपने फ़ायदे के लिए पिछड़ा बना रखा। इसे 'द सिक मैन ऑफ़ यूरोप' कहा जाता था, और यूरोपीय शक्तियों द्वारा इसे अक्सर बेइज़्ज़त किया जाता था।