रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सावरकर पर एक पुस्तक के विमोचन के समय, जहाँ आरएसएस के सर्वेसर्वा मोहन भागवत भी मौजूद थे, यह ज्ञान साझा किया कि 'वीर' सावरकर ने जो माफ़ीनामे लिखे वे गांधी जी की सलाह पर लिखे गए थे। मज़े की बात यह है कि सावरकर पर जिस किताब का विमोचन हो रहा था, उसके लेखकों, उदय माहूरकर व चिरायु पंडित, ने इसी आयोजन में बताया कि उनकी किताब में ऐसा कोई ज़िक्र नहीं है!
राजनाथ का बयान गांधी के विचारों को ख़त्म करने की साज़िश!
- विचार
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- 17 Oct, 2021

सवाल यह उठता है कि राजनाथ सिंह को अचानक सावरकर के माफ़ीनामे से गांधी जी को जोड़ने की क्यों ज़रूरत पड़ी है। आरएसएस-भाजपा शासक परेशान हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि गांधी का भारत का विचार पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ है और उनके हिंदुत्ववादी राष्ट्र के विचार को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है...
बेहद चौंकाने वाली यह सूचना आरएसएस या हिंदुत्ववादी ख़ेमे द्वारा देश से पहली बार साझा की जा रही थी। आरएसएस और हिन्दू महासभा से जुड़े लोगों ने सावरकर के जीवन पर लगभग 7 प्राधिकृत जीवनियाँ लिखी हैं। सावरकर जो ख़ुद एक सफल लेखक थे और जिन्होंने अपने जीवन के पल-पल का ब्यौरा अपनी लेखनी में पेश किया है, और उनके सचिव ए एस भिड़े ने उनके हर रोज़ के कार्यकलापों का संग्रह संयोजित किया है, इनमें से किसी में भी सावरकर के माफ़ीनामों में गांधी जी की भूमिका का कहीं भी ज़िक्र नहीं है।