प्रियंका गाँधी ने सक्रिय राजनीति में उतरने के बाद जो पहला आंदोलन किया उसमें वह सफल रहीं। वह सोनभद्र नरसंहार के पीड़ित परिवारों के सदस्यों से मिलीं भी और बिना जमानत या किसी सरकारी कार्रवाई के उन्हें छोड़ भी दिया गया। प्रियंका गाँधी ने जिस दृढ़ता से इस मुद्दे को एक आंदोलन बनाने का प्रयास किया, वह शुरुआती दौर में सफल होता दिख रहा है।