प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान भारत विभाजन के लिए इशारों-इशारों में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर आरोप लगाया। मोदी ने नेहरू का नाम लिए बग़ैर कहा कि किसी को प्रधानमंत्री बनना था तो देश पर एक लकीर खींच दी और बँटवारा करा दिया।

सरदार पटेल को आज बीजेपी अपने आराध्यों में गिनती है। वर्तमान बीजेपी सरकार और पार्टी नेतृत्व ने सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा लगा कर उन्हें न सिर्फ़ अपने अंदाज़ में श्रद्धांजलि देते हुए अपनी निकटता ज़ाहिर की है, बल्कि प्रकारांतर से यह भी जताने की कोशिश की है कि कांग्रेस ने नेहरू के आगे सरदार पटेल की उपेक्षा की। लेकिन बँटवारे की दास्तान खंगालते हुए बीजेपी पटेल की भूमिका को कैसे देखती है?.....पटेल के जन्मदिन पर सत्य हिन्दी की ख़ास पेशकश।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के तमाम नेता पिछले छह-सात सालों में नेहरू का नाम लेकर और उन पर तमाम तरह के आरोप लगाकर सीधे-सीधे कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व यानी नेहरू-गाँधी परिवार के वर्तमान सदस्यों सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी की साख पर सवाल उठाते रहे हैं ताकि वोट की राजनीति और राष्ट्र निर्माण की परियोजना के सन्दर्भ में देश के मौजूदा नागरिक समाज की नज़रों में नेहरू से लेकर उनकी आज तक की पीढ़ी का राजनैतिक विचार, व्यवहार और चरित्र संदिग्ध रहे।
अपनी सफ़ाई देने के लिए नेहरू तो मौजूद नहीं हैं लेकिन बँटवारे के लगभग तीन-चौथाई सदी के बाद अगर हम पीछे मुड़कर देखें और बिना किसी के पक्ष या विपक्ष में खड़े हुए यह सवाल पूछें कि क्या देश के टुकड़े होने से बचा जा सकता था? जवाब होगा शायद हाँ!