18 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में थे। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी पहली बार वाराणसी पहुंचे थे। वहाँ पहुंचकर उन्होंने कहा कि- काशी के लोगों ने उन्हें लगातार तीसरी बार अपना प्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री के रूप में भी चुना है। उन्होंने आगे कहा- अब तो मुझे माँ गंगा ने भी जैसे गोद ले लिया है और मैं यहीं का हो गया हूँ। हजारों लाखों वर्षों से गंगा जैसी नदियां अनवरत बह रही हैं। चुनावी शोर और फिर से मिली सत्ता की बागडोर संभालने को आतुर मोदी यह समझने में पूरी तरह विफल हैं कि नदी चाहे गंगा हो या फिर टेम्स, मिसीसिपी, नील या आमू, इनकी भौगोलिक जिम्मेदारी सभ्यताओं के निर्माण की है। ये नदियां पूरी की पूरी सभ्यता का पालन-पोषण करती हैं, किसी एक व्यक्ति के निर्माण से या उसके पतन से उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
'पेपर लीक': पीएम मोदी बोलते हैं तो अब कोई सुनना नहीं चाहता?
- विचार
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- 21 Jun, 2024

देश के युवाओं को जवाब क्यों नहीं देते मोदी कि उनकी सरकार इतनी अक्षम क्यों है कि एक राष्ट्रीय स्तर के पेपर को भी साइबर अपराध से नहीं बचा सकती। ऐसी सरकार देश की सुरक्षा कैसे कर पाएगी?
नदियाँ भूगोल को गोद लेती हैं और तब तक परवरिश करती हैं जबतक स्वयं इंसान इन्हें खत्म करने के साधन नहीं जुटा लेता। लेकिन फिर भी यदि मोदी गंगा के साथ अपना कोई भावनात्मक जुड़ाव खोज चुके हैं तो उन्हें गंगा की साफ़-सफ़ाई के अपने 10 साल पुराने वादे पर फिर से गौर करना चाहिए। क्योंकि यदि गंगा ने सवाल पूछ लिया कि नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी के 10 सालों से चेयरपर्सन होने के नाते उन्होंने नदी की साफ़-सफ़ाई अभी तक पूरी क्यों नहीं की, तो उनसे जवाब देते नहीं बनेगा।