आज पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। संक्रमण और मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है। यह हाल तब है जब सरकार इसकी भयावहता को छुपाने की सारी कोशिशें कर रही है। संकट के बावजूद लंबे समय तक गायब रहे मोदी ने 21 मई को राजीव गाँधी की पुण्यतिथि के दिन टीवी पर आकर लोगों के प्रति रुँधे गले से संवेदना व्यक्त की।

शहरी मध्य वर्ग मोदी का अंध समर्थक रहा है। मोदी की हर बात को उसने अपने कुतर्कों से जस्टिफाई किया। मोदी की आलोचना करने वालों से वह सीधे दो-दो हाथ करने के लिए तैयार रहता था। लेकिन आज इसके अपने काल कवलित हो रहे हैं। वह अस्पतालों और दवाइयों की दुकानों के सामने धक्के खा रहा है। डॉक्टरों, नर्सों के आगे गिड़गिड़ा रहा है। लेकिन हर जगह से दुत्कारा जा रहा है।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।