12 मई की रात आठ बजे प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन में इतिहास की कोख से निकले अनेक अनुत्तरित सवालों के जवाब मिलने की आस दिखाई देती है। तीसरे चरण के लॉकडाउन की घोषणा के समय ही ऐसे संकेत मिलने लगे थे कि सरकार अब वैश्विक महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई को सभी मोर्चों पर लड़ने का विचार कर रही है। प्रधानमंत्री के हाल के संबोधन को इस रूप में देखा जाना चाहिए कि भारत ने इस लड़ाई को ‘कोविड के साथ भी और कोविड के बाद भी’, की नीति पर लड़ने का मन बना लिया है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की। निस्संदेह यह एक बड़ी आर्थिक घोषणा है। इतने बड़े पैकेज की आस शायद किसी को नहीं थी। इस पैकेज से भारत के सामाजिक-आर्थिक मॉडल में किस तरह के बदलाव भविष्य में दिखेंगे, इसको समझने के लिए कुछ बुनियादी बातों पर ग़ौर करना ज़रूरी है।