प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो चीज़ें सख़्त नापसंद हैं और वे हैं पारदर्शिता और जवाबदेही। इसीलिए उन्होंने पीएम केयर्स फंड को टॉप सीक्रेट बना रखा है। इस फंड को लेकर ढेर सारे सवाल उठाए जा रहे हैं, संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसमें ग़लत लोगों का ग़लत पैसा आ रहा है। यह भी कि पता नहीं यह धन कहाँ ख़र्च होगा। मगर प्रधानमंत्री इस फंड के बारे में किसी को कुछ भी बताने को राज़ी नहीं हैं। वह लगातार ऐसे क़दम उठा रहे हैं जिससे किसी को पता ही न चले कि उसमें पैसा कहाँ से आ रहा है और कहाँ ख़र्च किया जाना है।
न्यायपालिका लाएगी ‘पीएम केयर्स’ में पारदर्शिता और जवाबदेही?
- विचार
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- 5 Jun, 2020

पीएम केयर्स फंड पहले दिन से ही विवादों से घिरा हुआ है। दो-दो हाईकोर्ट में इससे संबंधित याचिकाएँ दायर हुई हैं और उम्मीद जगी है कि मोदी सरकार को रवैया बदलने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।
लोकतंत्र में किसी भी सरकार के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता सबसे अहम तत्व होते हैं। इनके बिना सरकार की न तो कोई विश्वसनीयता होती है और न ही उसे लोकतांत्रिक माना जा सकता है मगर मोदी इनकी परवाह ही नहीं कर रहे हैं। विपक्षी दलों के सवालों के जवाब में वह चुप रहते हैं और मैनेज करके सीक्रेसी बनाए रखने की कोशिश करते हैं।