अब जबकि अगले लोकसभा चुनाव की घोषणा को पचास दिन भी नहीं रह गए हैं, देश के सियासी मिजाज को लेकर अटकलों का दौर जारी है। बावजूद इसके कि प्रधानमंत्री मोदी अपने अगले तीसरे कार्यकाल को महज औपचारिकता बताकर अपनी नई सरकार के सौ दिन के एजेंडे पर काम कर रहे हैं, विपक्ष की संभावनाओं को लेकर विश्लेषण और आकलन जारी है। इस क्रम में ‘सत्य हिन्दी’ में प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग का ताजा लेख, "हालात आपातकाल के हैं, तो नतीजे भी 1977 जैसे मिलने चाहिए!" से कुछ मौजू सवाल उठते हैं, जिन पर गौर करना दिलचस्प होगा।