यह वाकया 1994 का है। सिंगापुर की यात्रा पर गये पीवी नरसिम्हा राव वहाँ के पीएम के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। जिन लोगों की पैदाइश या याददाश्त 2014 के बाद की है, उनके लिए बता देना ज़रूरी है, प्रेस कॉन्फ्रेंस सामान्य परंपरा रही है, जो बताती है कि लोकतंत्र ज़िंदा है।
पैगंबर पर टिप्पणी: कीचड़ में अभी सिर्फ पाँव धँसे हैं
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- 8 Jun, 2022

पैगंबर साहब पर नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में देश की किरकिरी क्यों हो रही है? क्यों छोटे-छोटे देश भी अब आँखें दिखा रहे हैं?
तो प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी और दुनिया भर के पत्रकार सवाल पूछ रहे थे। अचानक एक आदमी उठा और उसने अपना परिचय दिया- मैं सिंगापुर की पाकिस्तानी एंबेसी का फर्स्ट सेक्रेटरी हूँ और मेरा सवाल कश्मीर पर है।
नरसिम्हा राव ने पूरा सवाल ध्यान से सुना और जवाब दिया- आप जो कुछ कह रहे हैं, वह तथ्यात्मक रूप से ग़लत है लेकिन इससे ज़्यादा बड़ी बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के अपने तौर-तरीक़े और मर्यादाएँ हैं। सरकार के स्तर पर पाकिस्तान से हमारी बातचीत होती रहती है। मुझे समझ में नहीं आया कि आप इस तरह कहाँ से टपक पड़े?
राकेश कायस्थ युवा व्यंग्यकार हैं। उनका व्यंग्य संग्रह 'कोस-कोस शब्दकोश' बहुत चर्चित रहा। वह 'प्रजातंत्र के पकौड़े' नाम से एक व्यंग्य उपन्यास भी लिख चुके हैं।