loader

मोदी को फिर याद आए राम

मोदी के गुजरात में जय श्री राम का नहीं, बल्कि जय श्री कृष्ण का उद्घोष होता है। जैसै बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नमस्कार या प्रणाम की तरह राम-राम कह कर अभिवादन किया जाता है वैसे ही गुजरात में जय श्री कृष्ण। मोदी कभी जय श्री कृष्ण कहते सुनायी नहीं दिए क्योंकि चुनाव में जितना फ़ायदा जय श्री राम से हो सकता है उतना फ़ायदा जय श्री कृष्ण से होने की उम्मीद कम है।
शैलेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की चुनावी सभा का आग़ाज़ ‘जय श्री राम’ के जयघोष से किया। यह अकारण नहीं है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में इस बार का चुनाव पूरी तरह से साम्प्रदायिक हो चुका है। बीजेपी, आरएसएस और उसके कई सहयोगी संगठन दो-तीन सालों से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुसलिम परस्त ही नहीं, बल्कि मुसलमान साबित करने का अभियान चला रहे थे। वाट़्सऐप सहित पूरे सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट लंबे समय से घूम रहे हैं जिनमें बताया जाता है कि ममता बनर्जी असल में मुसलमान हैं। उनका एक मुसलिम नाम भी प्रचारित किया गया। यह अभियान ठीक उसी तरह चलाया गया जैसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके परिवार को मुसलमान बताने के लिए चलाया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और उनके पति फ़िरोज़ गाँधी को भी मुसलमान बताने वाले संदेश ख़ूब प्रचारित किये गए। इस तथ्य को छिपाया गया कि फ़िरोज़ गाँधी पारसी थे। पर्सिया से भारत आकर शरण लेने वाले पारसियों ने कभी भी इसलाम स्वीकार नहीं किया। पारसी सूर्य की पूजा करते हैं और इसलाम से किसी भी तरह से जुड़े नहीं हैं। यह एक अलग धर्म है जो इसलाम से पहले से मौजूद है। टाटा समूह के प्रवर्तक जेआरडी टाटा, रतन टाटा, मशहूर वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा, भारत के परमाणु बम के जन्मदाताओं में से एक एच.एन. सेठना, गोदरेज परिवार और बीजेपी की अति दुलारी नेता और मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी के पति ज़ुबिन ईरानी भी पारसी हैं। इस प्रचार का जवाब देने के लिए राहुल गाँधी को जनेउ दिखाना पड़ा और गोत्र बताना पड़ा।

राहुल तो मुसलमान होने के आरोप से बच गए, लेकिन ममता बनर्जी को बंगाली ब्राह्मण परिवार से होने के बावजूद अभी तक मुसलमान के नाम पर घेरा जा रहा है।

क्या ‘जय श्री राम’ कहने पर ग़िरफ़्तारी हुई?

मिदनापुर की सभा में ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने के पीछे मोदी का मक़सद भगवान राम को याद करना नहीं, बल्कि ममता पर आक्रमण करना था। इसके पहले एक घटना और हुई थी। मिदनापुर में ही कुछ लोगों ने ममता के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और वे लोग जय श्री राम का उद्घोष करने लगे। ममता वहाँ रुकीं और प्रदर्शनकारियों को जवाब दिया। लेकिन मोदी ने कह डाला कि जय श्री राम राम कहने पर बंगाल में लोगों को ग़िरफ़्तार किया जाता है। मोदी ने ममता को चुनौती दी कि वह उन्हें ग़िरफ़्तार करें। ममता बनर्जी मूल रूप से कांग्रेसी हैं और उन्हें धर्म निरपेक्ष विचारधारा का समर्थक माना जाता है। कांग्रेस से अलग होने के बाद ममता ने ज़मीनी संघर्ष के ज़रिए क़रीब तीन दशक पुराने बंगाल के लाल गढ़ का क़िला भेदा और ग़ैर-मार्क्सवादी सरकार बनायी। विरोधियों ने उन्हें सारदा चिटफ़ंड घोटाला जैसे कई मामलों में अटकाने की कोशिश की लेकिन वह अब तक बची हुई हैं। जनता से जुड़ाव और अपनी सादगी के चलते वह बंगाल में अब भी सबसे लोकप्रिय नेता हैं। पिछले पाँच सालों में बंगाल में बीजेपी का आधार भी काफ़ी बढ़ा है। बीजेपी का प्रचारतंत्र लगातार बताता रहता है कि इस बार संघर्ष ममता और बीजेपी के बीच है। सीपीएम और वाम दलों के मोर्चा तथा कांग्रेस को हासिये पर पटकने के लिए बीजेपी इस बार ज़बरदस्त ज़ोर लगा रही है। 

बीजेपी को सारी उम्मीद हिंदू और मुसलिम वोटों के बँटवारे से है। सीपीएम और कांग्रेस के कमज़ोर होने के कारण मुसलमानों में ममता की लोकप्रियता बढ़ी है। मुसलमानों का डर दिखा कर बीजेपी इस बार हिंदुओं को अपने पक्ष में करने की ज़बरदस्त कोशिश में है। इसलिए मोदी अगर राम के नाम पर ममता को ललकारते हैं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। 

विचार से ख़ास

मोदी की रणनीति

वैसे, प्रधानमंत्री मोदी इस बार बहुत चालाकी से मतदाताओं को देशभक्ति और हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। आतंकवाद और पाकिस्तान का नाम उछालकर भी मोदी हिंदू एकता की भरसक कोशिश कर रहे हैं। इसका एक मक़सद यह भी है कि लोगों को रोज़गार, किसानों की दुर्दशा और भ्रष्टाचार जैसी दूसरी बुनियादी समस्याओं पर सोचने से रोका जाए। चुनाव अभियान के शुरुआती दौरे से ही मोदी इस रणनीति पर काम कर रहे हैं। 9 अप्रैल को महाराष्ट्र के लातूर की सभा में उन्होंने कहा कि जो पहली बार वोट डालने जा रहे हैं वह पुलवामा के शहीदों और बालाकोट में भारतीय सेना के हवाई हमले को अपना वोट समर्पित करें। 21 अप्रैल को गुजरात के पाटन की जनसभा में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा नहीं किया होता तो वह कत्ल की रात होती। हमने 12 मिसाइलें तैनात कर रखी थीं। 21 अप्रैल को ही राजस्थान के बाड़मेर की सभा में मोदी ने कहा कि हमने परमाणु बम दिवाली के लिए नहीं बना रखे हैं।

कुल मिलाकर मोदी लगातार यह संकेत दे रहे हैं जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध होने वाला हो। यह अलग बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह चाहते हैं कि मोदी फिर से भारत के प्रधानमंत्री बनें।

मोदी का 2014 वाला चेहरा कहाँ है?

2019 के चुनाव अभियान में मोदी का 2014 वाला चेहरा कहीं दिखायी नहीं दे रहा है। 2014 में मोदी के भाषणों से लगता था कि वह विकास के नए अवतार हैं। 2014 में उन्होंने वादा किया था कि विदेश में जमा भारतीयों का कालाधन वापस लाएँगे। भ्रष्टाचार पर लगाम लागाएँगे। 2 करोड़ लोगों को हर साल रोज़गार उपलब्ध कराएँगे। देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाएँगे। किसानों की आमदनी दोगुनी करने का उपाय करेंगे। पाँच साल की उनकी उपलब्धियाँ अब दूसरी कहानी बता रही हैं। सरकारी रिपोर्ट बता रही है कि देश में रोज़गार लगातार कम हो रहे हैं। मोदी की एक महत्वाकांक्षी योजना जीएसटी लागू होने के बाद बड़ी संख्या में छोटे उद्योग बंद हो गए। उद्योगों पर आफ़त की शुरुआत नोटबंदी के बाद ही हो गयी थी। नोटबंदी से कालाधन पकड़ में नहीं आया। आतंकवादी घटनाएँ नहीं रुकीं। जीएसटी से व्यापारी आज भी परेशान हो रहे हैं। ग़रीबों को रसोई गैस देने की योजना हो या सबको बिजली देने की, इनका भी असर दिखायी नहीं दे रहा है। बैंकों से हज़ारों करोड़ रुपये कर्ज़ लेकर विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग देश से फुर्र हो गए। कुल मिलाकर विकास के मोर्चे पर सरकार कोई असाधारण काम नहीं कर पायी, बल्कि स्थितियाँ पहले से ख़राब ही दिख रही हैं। 

ताज़ा ख़बरें

यूपी में ‘जय श्री राम’ बोलने से कतराते हैं मोदी?

ऐसे में मोदी को राम की याद आती है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन मोदी उत्तर प्रदेश में ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने से कतराते रहे हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी के प्रचारतंत्र ने उम्मीद जगायी थी कि उनकी सरकार बनी तो अयोध्या में राम मंदिर बन जाएगा। हिंदी पट्टी के मतदाताओं पर इसका ज़बरदस्त प्रभाव था। लेकिन अब यह साफ़ हो चुका है कि मंदिर निर्माण सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर निर्भर होगा। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बीजेपी राज के दौरान गो रक्षा के नाम पर किसानों पर एक और हमला हुआ। आवारा गाय-बैल अब इन राज्यों में खेती की नयी समस्या बन गए हैं।

मोदी का मक़सद

आतंकवाद के बहाने पाकिस्तान का डर दिखा कर मोदी अब उग्र हिंदू राष्ट्रवाद का खुला प्रवक्ता बन गए हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि उग्र हिंदू राष्ट्रवाद ही इस बार उसे जीत दिला सकती है। लेकिन यहाँ ममता बनर्जी के जवाब का उल्लेख भी ज़रूरी है। ममता ने कहा कि मोदी जी ने एक भी राम मंदिर बनवाया हो तो बताएँ। मोदी की एक विशेषता यह है कि वह विपक्षियों के आरोप का या तो जवाब नहीं देते या फिर अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ कर उसका फ़ायदा उठाने की कोशिश करते हैं। चलते-चलते एक और बात, मोदी के गुजरात में जय श्री राम का नहीं, बल्कि जय श्री कृष्ण का उद्घोष होता है। जैसै बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नमस्कार या प्रणाम की तरह राम-राम कह कर अभिवादन किया जाता है वैसे ही गुजरात में जय श्री कृष्ण। मोदी कभी जय श्री कृष्ण कहते सुनायी नहीं दिए क्योंकि चुनाव में जितना फ़ायदा जय श्री राम से हो सकता है उतना फ़ायदा जय श्री कृष्ण से होने की उम्मीद कम है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शैलेश
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें