प्लेग की महामारी 1896 में जब मुंबई पहुंची तो शुरुआत में इसका कारण हांगकांग से आए मालवाहक जहाज को माना गया। यह मानने के बहुत से कारण थे। एक तो शुरू में इस महामारी का प्रकोप बंदरगाह के पास मांडवी इलाक़े में ही सबसे पहले दिखाई दिया था।

भारत में प्लेग की महामारी फैलने के लिए उस दौरान अंग्रेज सरकार ने नागा साधुओं से इसको जोड़ दिया क्योंकि कुछ लोगों में इस बीमारी के लक्षण दिखे थे।
मांडवी इलाक़े में ही गोदामों में बड़ी संख्या में मरे हुए चूहे पाए गए थे लेकिन तब इसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बाद में जब एक के बाद एक लोगों में प्लेग के लक्षण दिखने लगे और उनकी मौत होने लगी तो महामारी के फैलने से इनकार करना संभव नहीं रहा।