क्या डोनल्ड ट्रंप अपनी दादागिरी में कामयाब रहे? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप की धौंसपट्टी में आ गए? क्या अमेरिका भारत की बाँहें मरोड़ने में सफल रहा? क्या मोदी का राष्ट्रवाद ट्रंप के राष्ट्रवाद के आगे हार गया? या मोदी ट्रंप को अपने हिसाब से समझाने मे कामयाब रहे और उन्होंने ट्रंप की मनमर्जी नहीं चलने दी। शुक्रवार को जापान के ओसाका शहर में ट्रंप और मोदी की मुलाक़ात के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मोदी-ट्रंप वार्ता में कौन जीता, कौन हारा?

ट्रंप ने जीवन भर व्यापार किया है और विदेश नीति उनके लिए किसी व्यापार से कम नहीं है। एक 'चतुर' व्यापारी के तौर पर मुनाफ़ा कमाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल करने में उन्हें कोई संकोच नहीं होता। लेकिन चीन के दबाव ने ट्रंप प्रशासन की चूलें हिला दी थीं, लिहाज़ा वह चीन से आगे निकलने की होड़ में पूरी दुनिया को हिला देना चाहते हैं।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।