केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद शायद यह पहला मौक़ा होगा कि जब कोई संविधान संशोधन विधेयक बिना किसी विरोध के संसद के दोनों सदनों में पास हो गया, खासतौर से तब जबकि पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया हो। संसद के मॉनसून सत्र में ओबीसी जातियों की सूची बनाने का अधिकार राज्यों को सौंपने वाले इस विधेयक पर किसी भी राजनीतिक दल ने विरोध नहीं किया।
क्या मोदी सरकार जातिगत जनगणना के लिये तैयार होगी?
- विचार
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- 12 Aug, 2021

जातिगत जनगणना के लिए अक्सर कर्नाटक मॉडल की बात होती रही है। साल 2015 में कांग्रेस की सिद्दारमैया सरकार ने कर्नाटक में सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण करवाया था, जिसे बाद में जातिगत जनगणना कहा गया। लेकिन इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया।
काफी समय से बहुत से राजनीतिक दल इसकी मांग कर रहे थे। लेकिन क्या इस विधेयक के पास हो जाने के बाद बात ख़त्म हो जाएगी, बल्कि माना जाना चाहिए कि बात तो अब नए सिरे से शुरू होगी। इस बिल के बाद जनगणना में ओबीसी जातियों की गिनती कराने की मांग का दबाव भी बढ़ने लगा है और साथ ही यह मांग अब ज़्यादा मुखर हो जाएगी कि आरक्षण की मौजूदा 50 फ़ीसदी की सीमा को ख़त्म करके इसे बढ़ाया जाए।
वैसे भी बहुत से दल यह मांग करते रहे हैं कि जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी।