भारतीय मीडिया को पूरी तरह अपने चंगुल में लेने के बाद क्या सरकार अब विदेशी मीडिया को भी क़ाबू करने की कोशिश में जुट गयी है? अमेज़न के मालिक जेफ़ बेज़ो की भारत यात्रा इस बात का साफ़ संकेत दे रही है। बेज़ो दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित अख़बारों में एक गिने जाने वाले ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के मालिक हैं। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सरकार की आलोचना करने का कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ा है। 2019 में मोदी की ज़बरदस्त जीत के बाद चाहे अनुच्छेद 370 में बदलाव हो या फिर नागरिकता क़ानून, पोस्ट लगातार मोदी सरकार की धज्जियाँ उड़ा रहा है और यह बात मोदी सरकार को पसंद नहीं आ रही है। ऐसे में बेज़ो, जो इस वक़्त भारत यात्रा पर हैं, प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय माँग रहे हैं और सरकारी सूत्रों का साफ़ कहना है कि मोदी उनसे मिलने को बिल्कुल इच्छुक नहीं हैं।

अमेज़न और 'वाशिंगटन पोस्ट' के मालिक जेफ़ बेज़ो पर प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रियों का बयान हाल के दिनों में लगातार हमलावर रहा है। यह वही 'वाशिंगटन पोस्ट' है जो नागरिकता क़ानून से लेकर बीजेपी के हिंदुत्व विचारधारा और हिंदू राष्ट्र तक पर बेलाग संपादकीय लिखता रहा है। इसके बारे में मशहूर है कि उसकी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। तब उस पर काफ़ी दबाव बनाने का प्रयास अमेरिकी सरकार ने किया था। पर वह झुका नहीं।
वह क्यों मिलने को तैयार नहीं हैं, इसका खुलासा सरकार की तरफ़ से तो नहीं हुआ लेकिन बीजेपी के विदेश मामलों के पार्टी प्रभारी विजय चौथावाले के एक ट्वीट ने सरकार की मंशा को उघाड़ कर रख दिया। बेज़ो ने भारत आने के बाद एक ट्वीट किया था- ‘गतिशीलता, ऊर्जा, लोकतंत्र #भारतीयशताब्दी’। यह ट्वीट अंग्रेज़ी में था। यानी उन्होंने ट्वीट के ज़रिये भारत की तारीफ़ की थी। और यह कहने का प्रयास किया था कि मौजूदा शताब्दी भारत की होगी। उसमें ऊर्जा है, और वह लोकतंत्र है। इसके जवाब में विजय चौथावाले ने लिखा ‘बेज़ो यह बात आप वाशिंगटन डीसी में बैठे अपने कर्मचारियों को बतायें अन्यथा आपकी भारतीयों को चमत्कृत करने की कोशिश समय और पैसे की बर्बादी होगी।’ बाद में एक अख़बार को चौथावाले ने बताया कि 'वाशिंगटन पोस्ट' की कवरेज एकतरफ़ा, पूर्वग्रह और एक एजेंडा के तहत है। उनके कथन का साफ़ अर्थ है कि बेज़ो ‘वाशिंगटन पोस्ट’ की संपादकीय टीम से बात कर उसे ठीक करें। अन्यथा भारत सरकार के सामने उनकी दाल नहीं गलेगी। इसी दिन कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अमेज़न भारत में एक बिलियन डॉलर का निवेश कर कोई एहसान नहीं कर रहा है।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।