उनके नेतृत्व में भारत आज़ाद हुआ। वह राष्ट्रपिता कहलाते हैं लेकिन वह सिनेमा को पसंद नहीं करते थे। जीवन के अंत तक महात्मा गाँधी को कोई भी सिनेमा प्रेमी विद्वान या फिल्मकार यह नहीं समझा सका कि सिनेमा के अविष्कार के बाद दुनिया दो कालखंड में बंट गयी। एक तो सिनेमा के जन्म से पहले की दुनिया और दूसरी सिनेमा के जन्म के बाद की दुनिया।