हरि अनंत हरिकथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहुविधि सब संता। तुलसीदास की इस चौपाई की तर्ज़ पर महात्मा गाँधी से जुड़े क़िस्सों-कहानियों का भी एक ऐसा लंबा सिलसिला है जिन्हें उनके प्रशंसक और आलोचक अपनी ज़रूरत और सहूलियत के हिसाब से अलग-अलग संदर्भों में इस्तेमाल करते रहते हैं।