गाँधी जी से जुड़े ऐसे बहुत से किस्से हैं जिनमें इस बात की झलक मिलती है कि वह छोटी से छोटी चीज़ की अहमियत को भी नज़रअंदाज़ नहीं करते थे, चाहे वह एक कागज़ या रूई का टुकड़ा या पेंसिल ही क्यों न हो। साथ ही एक-एक पैसे के हिसाब को लेकर भी बहुत सचेत रहते थे। उनके आश्रम में रहने वालों के खाने-पीने की सामग्री, कपड़े वगैरह सब सामान कहाँ से आ रहा है और कौन उसका हिसाब रख रहा है, गाँधी जी की इस पर कड़ी नज़र रहती थी।