नरेंद्र मोदी को अब किसी मुग़ालते में नहीं रहना चाहिए। राहुल गाँधी को फ़िलहाल राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव का यह साफ़ संदेश है। मोदी समझदार हैं, चतुर हैं, इसलिए वह सावधान हो जाएँगे पर राहुल गाँधी कोई सबक़ सीखेंगे, मुझे संदेह है। इस चुनाव में जनता ने बीजेपी को हराने की पूरी कोशिश की। पर कांग्रेस ने तय कर रखा था कि वह हर हाल में नहीं जीतेगी। वह बीजेपी और इसके साथियों को पूरी मेहनत से जिताने का काम करेगी। अब इसे उसका निकम्मापन कहें या काहिली या फिर चुनाव से पहले ही हार मान लेने की फ़ितरत। लेकिन इतना तय है कि इन चुनावों ने मोदी और अमित शाह का नशा हिरन कर दिया है। उनका अहंकार तोड़ दिया है। जनता का संदेश साफ़ है- जनता के मुद्दों पर काम करो, हवा हवाई बातें बंद करो। मूर्ख बनाना छोड़ो।

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजे का संदेश साफ़ है। इस चुनाव में जनता ने बीजेपी को हराने की पूरी कोशिश की। लेकिन कांग्रेस ने भी तय कर रखा था कि वह जीतेगी नहीं। बहरहाल, यह तो साफ़ लग रहा है कि विपक्ष के लिए ज़मीन पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुई है। बिहार और गुजरात के उपचुनाव के नतीजे भी कहते हैं- मेहनत करो, क़िस्मत बदल सकती है। पर क्या विपक्ष लाठी-डंडा खाने के लिए तैयार है?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।