महाराष्ट्र में सूखे के कहर से चौतरफ़ा कोहराम मचा हुआ है। राज्य के जिन 26 ज़िलों में सूखा पड़ा है उनमें औरंगाबाद, परभणी, अहमदनगर, धुले, जलगाँव, नाशिक, नंदूरबार, अकोला, अमरावती, बुलढाणा, बीड, हिंगोली, जालना, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद, यवतमाल, वाशिम, वर्धा, चंद्रपुर, नागपुर, पुणे, सांगली, सातारा, सोलापुर और पालघर शामिल हैं। यह सूखा इन मायनों में ज़्यादा भयंकर है कि पहले इस सूबे के मराठवाड़ा और विदर्भ के इलाक़े ही प्रभावित होते थे, लेकिन इस बार उत्तरी महाराष्ट्र का नासिक और पश्चिम में पुणे का इलाक़ा भी इसकी चपेट में आ चुका है। मराठवाड़ा और नासिक क्षेत्रों के बाँधों में राज्य का क्रमशः 27 और 65 फ़ीसदी जल भंडारण होता है। लेकिन अब तक ये बाँध लगभग सूख चुके हैं।
क्या महाराष्ट्र का विकराल सूखा सरकारी अनदेखी का नतीजा है?
- विचार
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- 10 Jun, 2019

महाराष्ट्र में सूखे के कहर से चौतरफ़ा कोहराम मचा हुआ है। राज्य के 26 ज़िलों में सूखे की स्थिति है। पीने के पानी की किल्लत तो है ही किसानों की पूरी फ़सल बर्बाद हो गई है। तो कौन है इसका ज़िम्मेदार?
इस साल का सूखा 1972 के सूखे से भी अधिक भयावह माना जा रहा है, क्योंकि इस बार रबी और ख़रीफ़ दोनों फ़सलों पर अनावृष्टि की मार पड़ चुकी है।
विजयशंकर चतुर्वेदी कवि और वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने कई मीडिया संस्थानों में काम किया है। वह फ़िलहाल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करते हैं।