इस बात के लिए भारत के क़रीब 19 करोड़ मुसलमानों की तारीफ़ करनी पड़ेगी कि किस तरह अपने आप को ‘अधीन’ मानते हुए उन्होंने ख़ुद को ‘वे’ में बदल जाने दिया यानी व्यापक हिंदू समाज के लिए वे उनसे अलग होकर ‘दूसरे’ बन गये। और इस तरह इन ‘वे’ (मुसलमानों) के विरुद्ध व्यापक हिंदू समाज धीरे-धीरे भगवा के विस्तार के भीतर सिमटता गया। जैसे-जैसे यह भगवा विस्तार देश के भूगोल का स्थायी भाव बनता जाएगा, वैसे-वैसे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संबंधों की मौजूदा संरचना स्थायी बन जाएगी।

एक सच्चा हिंदू राज्य उस छद्म धर्मनिरपेक्ष राज्य से बेहतर होता, जिसने मुसलमानों को सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के मामले में सबसे निचले पायदान पर पहुँचा दिया है।
कांग्रेस ने चुपके से वह मंच तैयार किया जहाँ से बीजेपी अब फल-फूल रही है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि वह राजीव गाँधी ही थे जिन्होंने राम मंदिर के ताले खोले थे, 1989 के चुनाव की पूर्व संध्या पर अयोध्या से ‘रामराज्य’ का वादा किया था और अदालत के फ़ैसले का उल्लंघन कर राम मंदिर के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी।
सईद नक़वी वरिष्ठ पत्रकार और टिप्पणीकार हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में विश्व के नेताओं और व्यक्तित्वों का साक्षात्कार किया है।