4 अगस्त 2020 को लेबनान की राजधानी बेरूत, जो एक बंदरगाह भी है, में एक विस्फोट हुआ। विस्फोट बड़ी मात्रा में रखे अमोनियम नाइट्रेट के कारण हुआ था, जिसे बंदरगाह प्रशासन ने एक लावारिस जहाज़ से ज़ब्त किया था। अपर्याप्त सुरक्षा प्रबंधों की वजह से यह विस्फोट हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए। आज एक साल गुजर जाने के बाद भी विस्फोट के असली कारणों का पता नहीं चल पाया है, इसके बावजूद लेबनान के प्रधानमंत्री हसन डियब ने घटना के एक सप्ताह के अंदर 'ज़िम्मेदारी' लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
लखीमपुर : प्रधानमंत्री जी! आप भूल गए हों … इतिहास नहीं भूलता
- विचार
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- 9 Oct, 2021

लखीमपुर कांड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी का क्या मतलब है? बता रही हैं लेखक वंदिता मिश्रा।
क्या कारण रहा होगा इस्तीफे के पीछे? डियब चाहते तो त्यागपत्र न देते, लेकिन उन्होंने अपने देश के नागरिकों और भावी नेताओं के सामने ज़िम्मेदारी भरी एथिकल पॉलिटिक्स का नमूना पेश किया। कुछ दिन और पद पर बने रहने से हसन डियब को फ़ायदा हो सकता था, लेकिन राष्ट्र के रूप में लेबनान में इससे ग़लत संदेश जा सकता था। प्रधानमंत्री सच्चे राष्ट्रभक्त साबित हुए।