आशा बंधी थी कि किसान आंदोलन का कोई सर्वसमावेशी हल निकल आएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों की बात रख ली और तुरंत उन्हें बात करने के लिए बुला लिया। यह भी अच्छा हुआ कि सरकार ने सारे किसानों के बुराड़ी मैदान में इकट्ठे होने के आग्रह को छोड़ दिया लेकिन किसानों ने दिल्ली पहुंचने के लोकप्रिय परंपरागत रास्तों पर धरना दे दिया है।
मोदी सरकार और किसान दोनों अपनी अकड़ छोड़ें
- विचार
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- 3 Dec, 2020

जहां तक तीनों कृषि-कानूनों को वापस लेने की बात है, यह शुद्ध अतिवाद है, दादागिरी है। सिर्फ 6 प्रतिशत किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन नव-नेताओं के आगे सरकार आत्म-समर्पण क्यों करे? यदि वे अहिंसक प्रदर्शन करते हैं तो ज़रूर करें लेकिन यदि वे हिंसा पर उतारु हो गए तो सरकार को मजबूरन सख्त कार्रवाई करनी होगी।
दिल्ली की जनता को फल और सब्जियां मिलना मुहाल हो रहा है और सैकड़ों ट्रक सीमा के नाकों पर खड़े हुए हैं। इससे किसानों को भी नुकसान हो रहा है और व्यापारी भी परेशान हैं।