कंगना बहन यह सिर्फ़ आपकी मुश्किल नहीं है। गांधी को लोग देर से समझते हैं। दरअसल, हड्डी के ढाँचे जैसी काया में नज़र आने वाला यह शख्स जितना बाहर से सहज और सरल दिखता है, भीतर से उतना ही कठोर है। उन्हें समझने में अंग्रेजोंं को भी वक़्त लगा था।
गांधी को जिन्ना, सावरकर नहीं समझ पाए तो कंगना कैसे समझ पाएँगी!
- विचार
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- 18 Nov, 2021

कंगना रनौत देश की आज़ादी को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद उन्होंने महात्मा गांधी पर हमला किया है। कंगना ने गांधी जी के अहिंसा के मंत्र का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि दूसरे गाल को भी आगे कर देना भीख है न कि आज़ादी।
जिन्ना वगैरह के तो बस की बात ही नहीं थी गांधी को समझना। खुद सावरकर भी कहां ठीक से समझ पाए थे गांधी को।
जिन्ना और सावरकर ने गांधी को ठीक से नहीं समझा तो उसकी वजहें साफ़ थीं। उसके पीछे उनकी अपनी वैचारिक सोच और दीर्घकालीन राजनीति थी।