जस्टिस दीपक गुप्ता, जो हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्होंने अपने विदाई भाषण में कहा कि भारतीय न्यायिक प्रणाली आज, ग़रीबों के ख़िलाफ़ और अमीरों की पक्षधर हो गयी है। जबकि वास्तव में न्यायिक प्रणाली इसकी उलटी होनी चाहिए ग़रीबों के पक्ष में, क्योंकि सुरक्षा की आवश्यकता ग़रीबों को है अमीरों को नहीं।
जजों के लिए सबक़: कश्मीरी राजा और उसका न्याय
- विचार
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- 13 May, 2020

मैं इतिहासकार कल्हण द्वारा प्रसिद्ध बारहवीं शताब्दी के संस्कृत ग्रंथ, 'राजतरंगिणी' में सुनाई गई एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख कर रहा हूँ। एक न्यायी राजा के अधीन क़ानून की सर्वोच्चता बरकरार रही और कमज़ोर (मोची) शक्तिशाली (राजा के अधिकारियों) पर हावी रहा। शायद राजा चंद्रपीड का उदाहरण जस्टिस दीपक गुप्ता के मन में चल रही बात को दर्शाता है और यह बताता है कि एक सच्चे न्यायाधीश को कैसा होना चाहिए।
इस संबंध में, मैं कश्मीरी इतिहासकार कल्हण द्वारा प्रसिद्ध बारहवीं शताब्दी के संस्कृत ग्रंथ, 'राजतरंगिणी' में सुनाई गई एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख कर रहा हूँ- इसमें बताया गया है कि कैसे एक कश्मीरी राजा चंद्रपीड ने अपने ही अधिकारियों से एक ग़रीब चर्मकार (मोची) की रक्षा की।