चल रहे भारतीय किसान आंदोलन की तुलना क्या चीनी ‘लांन्ग मार्च’ से की जा सकती है? उसी की तरह, यह कई बाधाओं का सामना करेगा, कई मोड़ आएँगे, और यहाँ तक कि कभी-कभी पीछे हटने और विभाजित होने की भी सम्भावना होगी, लेकिन अंततः किसान विजयी अवश्य होंगे, जिसके परिणामस्वरूप एक राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था का निर्माण होगा जिसके तहत भारत तेज़ी से औद्योगिकीकरण की ओर आगे बढ़ेगा और लोग बेहतर और खुशहाल जीवन पाएँगेI
क्या भारत का लॉन्ग मार्च शुरू हो चुका है?
- विचार
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- 24 Jan, 2021

इतिहास से पता चला है कि अधिकांश ऐतिहासिक परिवर्तनों में लगभग 10% जनसंख्या का सफ़ाया हो जाता है। उदाहरण के लिए, 1949 में चीनी क्रांति के विजयी होने के बाद, एक गणना की गई, और यह पाया गया कि तत्कालीन कुल 50 करोड़ चीनी आबादी में से लगभग 5 करोड़ चीनी क्रांति के दौरान मारे गए थे।
मेरे ऐसा कहने के निम्नलिखित कारण हैं:
मैं पहले भी कह चुका हूँ कि यह दुनिया वास्तव में दो भागों में विभाजित है, विकसित देशों की दुनिया (उत्तरी अमेरिका, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन) और अविकसित देशों की दुनिया (भारत सहित)। अविकसित देशों को ख़ुद को विकसित देशों में बदलना होगा, अन्यथा वे बड़े पैमाने पर ग़रीबी, बेरोज़गारी, भूख, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी आदि से सदा ग्रस्त रहेंगे।