जब 5 दिन में यूक्रेन के 5 लाख से ज्यादा लोग पड़ोसी देशों में शरण ले सकते हैं तो भारत के 20 हजार छात्र क्यों नहीं?- यह सवाल देश को बेचैन कर रहा है।