मॉस्को में भारी उम्मीदों और शंकाओं के बीच भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की गुरुवार रात को हुई बातचीत के नतीजे किसी ठोस सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंचते नहीं दिखते हैं। बातचीत के बाद शांति की दिशा में बढ़ने वाला कोई ठोस दिखावटी एलान नहीं होने पर रक्षा हलकों में चीन के इरादों पर शक जाहिर किया जा रहा है। बातचीत के दौरान दोनों विदेश मंत्रियों ने दो टूक शब्दों में एक-दूसरे से कहा कि वे अपने सैनिक पीछे ले जाएं।
चीन के इरादों पर शक बरकरार, पीछे हटने को तैयार नहीं दिखता ड्रैगन
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- 12 Sep, 2020

प्रेक्षकों का मानना है कि भारतीय सीमांत इलाकों पर चीनी सेना ने जो हरकत की है वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विस्तारवादी नीति का ही अहम हिस्सा है इसलिये चीन ने पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाकों में जो घुसपैठ की है, उससे वह पीछे नहीं हटने वाला।
दोनों ने एक-दूसरे के सैनिकों पर भड़काने वाला कदम उठाने का आरोप लगाया। जैसे गत चार सितम्बर को मॉस्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की वार्ता कड़े तेवरों के साथ समाप्त हुई थी, वैसे ही यह कहा जाए कि विदेश मंत्रियों की वार्ता भी एक-दूसरे पर आरोपों-प्रत्यारोपों और एक-दूसरे को नसीहतों के साथ समाप्त हुई तो ग़लत नहीं होगा।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक़, इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग ई से साफ कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना द्वारा की गई भारी सैन्य तैनाती की कोई वजह नहीं थी और यह बेहद चिंताजनक है।