जन्माष्टमी के दिन घर से ख़रीदारी के लिए निकला। रास्ते में पर्स खाली सा लगा। सोचा एटीएम से कुछ पैसे निकाल लूँ। लेकिन ये क्या। पर्स से एटीएम कार्ड ग़ायब था। बहुत दिमाग दौड़ाया। घर में ढूंढा। फिर सोचा कि कहीं छूट गया होगा। किसी एटीएम में। आस पास के नियमित इस्तेमाल करने वाले एटीएम पर दिमाग गया। लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ छूटा होगा।
गूगल-फ़ेसबुक के पास हमारा डेटा होना क्यों ख़तरे से खाली नहीं?
- विचार
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- 19 Aug, 2020

फ़ेसबुक के अंदर मेरे एसएमएस के सारे संदेश थे। मेरी कॉल डिटेल थी। आख़िर फ़ेसबुक के पास इसका क्या काम लेकिन वो ऐसा करता है। सवाल यह उठता है कि भारत के लिए फ़ेसबुक कैसे सेफ़ है?
तकनीक से माथा मारने की आदत है। तो सोचा पता लगाऊँ कि कार्ड कहाँ छूट गया। सबसे पहले आख़िरी बार पैसे कब निकाले थे यह चेक किया। पता चला कि दस दिन पहले पैसे निकाले गए थे। अब यह पता लगाना था कि उस दिन मैं कहाँ-कहाँ गया था। गूगल मैप में हिस्ट्री देखी। पता चला कि दस दिन पहले यानी तीन अगस्त को मैं पास के एक मॉल गया था। झट यह याद आया कि वहीं के एटीएम से तो पैसे निकाले थे।
मॉल पहुँचा तो एटीएम में गार्ड नहीं था। पास में ड्यूटी पर तैनात मॉल के गार्ड से पूछताछ की तो उसके पास दस-पन्द्रह कार्ड पड़े हुए थे। एक मेरा भी था।