भारत के पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है। यह चुनाव-प्रक्रिया एक माह की होगी। 10 फ़रवरी से 10 मार्च तक! ये चुनाव उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में होंगे। इन पांचों राज्यों के चुनाव का महत्व राष्ट्रीय चुनाव की तरह माना जा रहा है, क्योंकि इन चुनावों में जो पार्टी जीतेगी, वह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अपना रंग जमा सकती है। दूसरे शब्दों में ये प्रांतीय चुनाव, राष्ट्रीय चुनाव के पूर्व राग सिद्ध हो सकते हैं।
ख़तरे के दौर में चुनाव तो ठीक है, दलों की 'रिश्वत' पर भी तो लगाम लगे
- विचार
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- 9 Jan, 2022

चुनाव आयोग यदि इस तथ्य पर भी ध्यान देता तो बेहतर होता कि पार्टियाँ मतदाताओं को चुनावी रिश्वत नहीं देतीं। पिछले एक माह में लगभग सभी पार्टियों ने बिजली, पानी, अनाज, नकद आदि रूपों में मतदाताओं के लिए जबर्दस्त थोक रियायतों की घोषणा की है। यह रिश्वत नहीं तो क्या है?
इन पांचों राज्यों में यों तो कुल मिलाकर 690 सीटें हैं, जो कि विधानसभाओं की कुल सीटों का सिर्फ़ 17 प्रतिशत है लेकिन यदि इन सीटों पर विरोधी दलों को बहुमत मिल गया तो वे अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे।