सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर उम्मीद जगाई है कि दिल्ली दंगे जिन लोगों ने भड़काये हैं या भड़काने में जिनकी भूमिका रही है, उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी। उन्हे सज़ा मिलेगी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि नफ़रती भाषणों पर सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में शुक्रवार को हो।

मेरा विश्वास है कि दिल्ली हिंसा देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। यह मामला यह तय करेगा कि देश संविधान के हिसाब से कितना चलेगा या कितनी दूर तक चलेगा? यह भी तय होगा कि सरकार और पुलिस राजनीतिक आकाओं के इशारों पर किस हद तक नंगा नाच कर सकती हैं?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।