होली से पहले ही दिल्ली के एक बड़े इलाक़े में खून की होली खेली गई। बरसों से जिस प्यार, भाईचारे और मेलजोल से लोग रहते थे वह कुछ ही घंटों में ख़त्म हो गया और लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। यह सच है कि इन दंगों के दौरान ऐसी भी मिसालें देखने को मिलीं जहां हिंदुओं ने अपने मुसलिम पड़ोसियों को बचाया तो मुसलिम परिवारों ने दंगों के बीच हिंदू बहन की डोली उठवाई। इसके बावजूद जो कुछ हुआ है, उसने पूरे उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोगों के बीच एक दीवार खींच दी है या कहें कि दरार पैदा कर दी है। न जाने इस दरार को पटने में कितना लंबा वक़्त लगेगा।
दिल्ली: जब आसानी से मिल जायेंगे देसी कट्टे, पिस्तौल तो दंगे होंगे ही!
- विचार
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- 29 Feb, 2020

दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाक़ों सीलमपुर, जाफ़राबाद, मुस्तफ़ाबाद तक में अवैध धंधों की भी भरमार है और अंडर वर्ल्ड के साथ-साथ अवैध हथियारों का धंधा भी यहां खूब होता है।
अगर आप दिल्ली में यमुनापार इलाक़े को देखें तो एक तिहाई दिल्ली साफ दो हिस्सों में नजर आती है। जैसे दिल्ली में एक पुरानी दिल्ली है और एक नई दिल्ली, उसी तरह यमुनापार में भी एक तरफ पूर्वी दिल्ली है जो अपेक्षाकृत नियोजित तरीक़े से बनी नजर आती है लेकिन दूसरी तरफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली है, जहां बहुत कम आबादी ही प्लान करके बसाई गई है। कुकुरमुत्ते की तरह यहां अवैध बस्तियां उभर आईं और उन्होंने सारे इलाक़े को स्लम जैसी स्थिति में पहुंचा दिया।