दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की पराजय के बाद जितनी खुशी भारतीय जनता पार्टी के भीतर है उससे कहीं ज्यादा खुशी इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस) की घटक दल कांग्रेस पार्टी के भीतर है। उसके बड़े नेताओं ने भले ही प्रकट रूप से कोई बयान न दिया हो लेकिन थिंक टैंक के रूप में काम करने वाले तमाम लोगों ने इस बात पर खुशी जताई है कि उसने अपने उस शत्रु से बदला ले लिया है जिसे भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए एक रणनीति के रूप में खड़ा किया था।
आखिर कब तक चुनाव हारता रहेगा आम आदमी?
- विचार
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- अरुण कुमार त्रिपाठी
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- 9 Feb, 2025

अरुण कुमार त्रिपाठी
विपक्षी दल वास्तव में बीजेपी को सत्ता से हटाने की लड़ाई लड़ रहे हैं या विपक्ष की बाकी बची जमीन में एक दूसरे को हराने के लिए लड़ रहे हैं? नुक़सान किनका हो रहा है?
भले ही कांग्रेस को महज छह प्रतिशत वोट हासिल हुआ हो लेकिन उसने भाजपा की बी टीम को हरा दिया है और अब उसके लोग दावा कर रहे हैं कि अगला नंबर भाजपा को हराने का है। दूसरी ओर भीतर से आने वाली अपुष्ट ख़बरों में यह दावा किया जा रहा है कि एकदम लेन देन और धन और पद की लोलुपता पर आधारित इस चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के उम्मीदवारों को हर प्रकार से पटाया और उन्होंने आम आदमी पार्टी को हराया। बताते हैं कि ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र चुनाव में हुआ था जहां पर बीजेपी ने कांग्रेस के लोगों की लालच का फायदा उठाकर उन्हें लड़ते हुए भी न लड़ने के लिए राजी कर लिया था।
अरुण कुमार त्रिपाठी
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।