तो क्या हनुमान जी भगवान राम पर भारी पड़े? मैं यह जानता हूँ कि यह तुलना अनावश्यक है। भारतीय परंपरा में राम और हनुमान को अलग कर नहीं देखा जाता। रामभक्त हनुमान को मर्यादा पुरुषोत्तम राम का ही अंश माना जाता है। राम के बग़ैर हनुमान का कोई अस्तित्व नहीं है। लेकिन देश की राजनीति ऐसी हो गयी है कि वह राम और हनुमान में भी भेद कर देती है और हद तो तब हो जाती है जब हनुमान जी की जाति पूछी जाती है। दिल्ली के चुनाव ने यह साबित कर दिया है कि जो इतिहास से सबक़ नहीं लेते वे इतिहास को दोहराने के लिए अभिशप्त होते हैं। आप ने इतिहास से सबक़ लिया और बीजेपी के तमाम उकसावे के बाद भी उसने बीजेपी की पिच पर खेलने से इनकार कर दिया। बीजेपी वही पुराना राग ‘पाकिस्तान’ गाती रही और जनता ने इसे नकार दिया।