पिछले लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जातियों के एक विशेष हिस्से ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया था। दरअसल, इस मतदान के बिना यह पार्टी उत्तर भारतीय हिंदू समाज की अपने पक्ष में व्यापक राजनीतिक एकता की मज़बूत दावेदारी नहीं कर सकती थी। आँकड़ों की दृष्टि से देखा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि जाटव समाज को छोड़ कर उत्तर प्रदेश में अन्य दलित समुदायों की पहली प्राथमिकता बीजेपी बन चुकी है।
अदृश्य दलित बिरादरियों के दम पर बनती है हिंदू वोटों की एकता
- विचार
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- 3 Apr, 2019

किसी भी नज़रिये से दलित गोलबंदी की राजनीति न करने के बावजूद बीजेपी अनुसूचित जातियों के वोटों को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में कैसे सफल हो जाती है?
बिहार में तो लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पासवान नेतृत्व के बावजूद 2014 में सबसे ज़्यादा दलित वोट (28 प्रतिशत) बीजेपी को ही मिले थे, और उत्तर प्रदेश में ग़ैर-जाटव दलितों के सबसे अधिक वोट (बसपा के 30 फ़ीसदी के मुक़ाबले 45 फ़ीसदी) बीजेपी के हिस्से में गए थे।