अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वर्ष 1960 के बाद से पनपी नई बीमारियों और रोगों में से तीन-चौथाई से अधिक का संबंध जानवरों, पक्षियों या पशुओं से है, और यह सब प्राकृतिक क्षेत्रों के विनाश के कारण हो रहा है। नवंबर से दुनिया भर में फैल रहे कोरोना वायरस के लिए भी यही कहा जा रहा है। दरअसल, दुनियाभर में प्राकृतिक संसाधनों का विनाश किया जा रहा है और जंगली पशुओं व पक्षियों की तस्करी बढ़ रही है।
पेड़ काटेंगे, जानवर मारेंगे तो कोरोना से महातबाही तो होगी!
- विचार
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- 22 Mar, 2020

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वर्ष 1960 के बाद से पनपी नई बीमारियों और रोगों में से तीन-चौथाई से अधिक का संबंध जानवरों, पक्षियों या पशुओं से है, और यह सब प्राकृतिक क्षेत्रों के विनाश के कारण हो रहा है।
घने जंगलों में तमाम तरह के अज्ञात वैक्टीरिया और वायरस पनपते हैं, और जब जंगल नष्ट होते हैं तब ये वायरस मनुष्यों में पनपने लगते हैं। इनमें से अधिकतर का असर हमें नहीं मालूम पर जब सार्स, मर्स या फिर कोरोना जैसे वायरस दुनिया भर में तबाही मचाते हैं, तब ऐसे वायरसों का असर समझ में आता है।