कोरोना का संकट तो देर-सबेर टल ही जाएगा। हो सकता है लाखों या फिर करोड़ों लोगों की जान लेकर ही कोरोना देवी का ग़ुस्सा शांत हो। लेकिन क्या कोरोना के बाद की दुनिया वैसी ही रहेगी जैसी कोरोना के पहले थी? क्या हमारी और आपकी ज़िंदगी वैसे ही फिर पटरी पर आ जाएगी जैसे हम पहले घर से निकल कर बाज़ार या मॉल हो आया करते थे? हो सकता है कुछ भी न बदले या फिर सब कुछ ही बदल जाए। और हो सकता है कि एक ऐसी दुनिया हमारे और आपके सामने आए जिसे हम पहचान ही न पाएँ।