loader
लॉकडाउन के बाद अपने घर के लिए निकले मज़दूरों को पुल के नीचे सहारा लेना पड़ा।

कोरोना: अमीरों ने आयात की बीमारी, ग़रीबों पर पड़ी मार

कोरोना संकट की सबसे ज्यादा मार ग़रीबों पर पड़ी है। लाखों प्रवासी मजदूर जहां-तहां फंसे हुए हैं। कोटा में फंसे प्रवासी छात्रों के लिए कई राज्यों ने बसें चलाई हैं जिससे उन्हें उनके गांवों और शहरों तक पहुंचाया जा सके। लेकिन दूसरी तरफ देश के छोटे-बड़े शहरों की सीमाओं पर लाखों मजदूर और उनके परिवार फंसे हुए हैं और उनके घर पहुंचने का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

कोरोना-संकट के कारण सबसे ज्यादा मुसीबत किसे उठानी पड़ी है? मैं समझता हूं कि सबसे ज्यादा मुसीबत हमारे ग़रीब लोग झेल रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि कोरोना है ही अमीरों की बीमारी! अमीर लोगों की ही हैसियत है कि वे विदेशों से आते हैं और विदेशों में जाते हैं। इस बीमारी का आयात उन्होंने ही किया है। वे भारत लौटकर जिन-जिन लोगों के संपर्क में आते हैं, उन्हें भी वे बीमार करते चले जाते हैं। 

ताज़ा ख़बरें
क्या वजह है कि मुंबई, दिल्ली, जयपुर और इंदौर जैसे शहरों में कोरोना का प्रकोप सबसे ज्यादा है? उसकी वजह यही है। लेकिन हमारी सरकार और हमारा रवैया क्या है? ग़रीबों के प्रति हमारा रवैया मेहरबानी का है, कृपा का है, एहसान का है, दया का है। वरना क्या वजह है कि कोटा में फंसे हजारों प्रवासी छात्रों के लिए मप्र, उप्र, राजस्थान और हरियाणा जैसे प्रदेश विशेष बसें चला रहे हैं ताकि उन्हें उनके गांवों और शहरों तक निःशुल्क पहुंचाया जा सके। उनके खाने-पीने और सुरक्षा का भी सारा इंतजाम सरकारें कर रही हैं। केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय भी गुपचुप देख रहा है। 

दूसरी तरफ देश के छोटे-बड़े शहरों की सीमाओं पर लाखों मजदूर, मजदूरनियां और उनके बच्चे हैं, जिनके घर पहुंचने का कोई इंतजाम नहीं है। लोग सैकड़ों मील पैदल या साइकिलों से अपने गांव पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। 

घर लौटना चाहते हैं मजदूर 

जो लोग फंसे हुए हैं, उनके खाने-पीने और रहने का इंतजाम सरकारें जमकर कर रही हैं लेकिन फिर भी उनमें गहरी छटपटाहट भड़की हुई है। वे अपने घर लौटने के लिए इस कदर बेताब हैं कि एक-एक ट्रक में 75-75 लोग छिप-छिपाकर सैकड़ों मील की यात्रा कर रहे हैं। एक-एक सवारी 2-2 हजार रुपये दे रही है। ट्रक के ड्राइवर उनसे ऊपर का पैसा भी वसूल कर रहे हैं। ऐसे दो ट्रक कल गुड़गांव में पकड़े गए हैं। 

मैं लॉकडाउन के पहले दिन से कह रहा हूं कि इन लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की व्यवस्था कीजिए। यदि ये लोग उसी समय चले जाते तो लॉकडाउन खुलने पर ये लोग अपने आप लौट आते। वे लोग गांवों में रहते हुए ऊब जाते। अब 3 मई के बाद वे लौटेंगे या नहीं, कुछ पता नहीं।

विचार से और ख़बरें
कोटा से लौटने वाले छात्रों में अभी तक एक भी कोरोना का रोगी नहीं निकला तो ये सब मजदूर कोरोना के संभावित रोगी क्यों मान लिए गए हैं? क्योंकि ये ग़रीब हैं, बेजुबान हैं, गांवदी हैं जबकि कोटा के छात्र संपन्न वर्ग के हैं, लंबी जुबान वाले हैं और शहरी हैं। यही फर्क हमें अमेरिका में भी देखने को मिल रहा हे। वहां काले-अफ्रीकी, लातीनी और एशियाई मूल के नागरिकों की काफी उपेक्षा हो रही है। 

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें