कोरोना-संकट के कारण सबसे ज्यादा मुसीबत किसे उठानी पड़ी है? मैं समझता हूं कि सबसे ज्यादा मुसीबत हमारे ग़रीब लोग झेल रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि कोरोना है ही अमीरों की बीमारी! अमीर लोगों की ही हैसियत है कि वे विदेशों से आते हैं और विदेशों में जाते हैं। इस बीमारी का आयात उन्होंने ही किया है। वे भारत लौटकर जिन-जिन लोगों के संपर्क में आते हैं, उन्हें भी वे बीमार करते चले जाते हैं।
दूसरी तरफ देश के छोटे-बड़े शहरों की सीमाओं पर लाखों मजदूर, मजदूरनियां और उनके बच्चे हैं, जिनके घर पहुंचने का कोई इंतजाम नहीं है। लोग सैकड़ों मील पैदल या साइकिलों से अपने गांव पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
घर लौटना चाहते हैं मजदूर
जो लोग फंसे हुए हैं, उनके खाने-पीने और रहने का इंतजाम सरकारें जमकर कर रही हैं लेकिन फिर भी उनमें गहरी छटपटाहट भड़की हुई है। वे अपने घर लौटने के लिए इस कदर बेताब हैं कि एक-एक ट्रक में 75-75 लोग छिप-छिपाकर सैकड़ों मील की यात्रा कर रहे हैं। एक-एक सवारी 2-2 हजार रुपये दे रही है। ट्रक के ड्राइवर उनसे ऊपर का पैसा भी वसूल कर रहे हैं। ऐसे दो ट्रक कल गुड़गांव में पकड़े गए हैं।
मैं लॉकडाउन के पहले दिन से कह रहा हूं कि इन लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की व्यवस्था कीजिए। यदि ये लोग उसी समय चले जाते तो लॉकडाउन खुलने पर ये लोग अपने आप लौट आते। वे लोग गांवों में रहते हुए ऊब जाते। अब 3 मई के बाद वे लौटेंगे या नहीं, कुछ पता नहीं।
अपनी राय बतायें