कर्नाटक में दिए एक भाषण पर लोकसभा की सदस्यता गँवा बैठे राहुल गांधी क्या अदालत की शरण लेंगे? तत्काल ऐसा होता नहीं दिख रहा। तो क्या वह यह पूरा महीना निकल जाने देंगे और 2 साल की सज़ा कबूल कर जेल चले जाएंगे? फ़िलहाल यह कहना मुश्किल है। लेकिन जो फैसला शुक्रवार को आया, उस पर सोमवार तक अपील न करना बताता है कि कांग्रेस और टीम राहुल सूरत की चुनौती को अवसर में बदलने की रणनीति पर गंभीरता से विचार कर रही है। ज़ाहिर है, यह सारे पुल नष्ट कर, सारी नावें जलाकर नदी पार करने का दुस्साहसी विवेक ही कहला सकता है- यानी यह स्थिति कि या तो डूबना है या फिर पार कर जाना है। अब यह राजनीति है या रोमांटिसिज्म- यह आने वाले दिन बताएंगे।