आख़िरकार कांग्रेस गांधी परिवार के नेतृत्व से मुक्त हो ही गई। राजनीति में विघ्नसंतोषी मानसिकता वाले वो तमाम लोग अब चैन की साँस ले सकेंगे जो कांग्रेस से ज़्यादा पार्टी के प्रथम परिवार से खफा थे और उनकी नज़र में कांग्रेस तब तक दोबारा सत्ता में नहीं लौट सकती जब तक सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पार्टी का नेतृत्व करते रहेंगे। हालाँकि ऐसे लोगों की दिलचस्पी क़तई कांग्रेस की भलाई और उसके उत्थान में नहीं बल्कि कांग्रेस के ख़िलाफ़ इस मुद्दे को लगातार ज़िंदा रखने में थी जिससे जनमत में कांग्रेस और उसके प्रथम परिवार के ख़िलाफ़ माहौल गरमाता रहे और उस पर वंशवाद का आरोप पक्के तौर पर चस्पा हो जाए।
राहुल के प्रयोग को खड़गे कामयाब करेंगे?
- विश्लेषण
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- 26 Oct, 2022

गैर गांधी परिवार से कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना राहुल गांधी का एक प्रयोग है? क्या उन्होंने ऐसा प्रयोग पहले करने की कोशिश की? और अब मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनने से क्या होगा असर?
लेकिन एक झटके में कांग्रेस ने इन तत्वों को निराश कर दिया। उसने वो कर दिया जिसकी जरा भी उम्मीद कांग्रेस विरोधियों को नहीं थी। उन्हें ये असंभव लगता था कि सोनिया परिवार के रहते कांग्रेस में संगठन के आंतरिक चुनाव भी होंगे और कोई गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आसीन हो जाएगा। इसलिए टीवी बहसों और सोशल मीडियी के सार्वजनिक विमर्श में लगातार यह कहा जाता था कि चुनाव कराने का हो हल्ला कांग्रेस का नाटक है और आख़िर में राहुल गांधी ही दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएंगे। तब मैंने लगातार कहा था कि जितना मैं राहुल गांधी को समझ सका हूं उसके हिसाब से वह कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे और न ही परिवार के किसी सदस्य को बनने देंगे।