आख़िरकार कांग्रेस गांधी परिवार के नेतृत्व से मुक्त हो ही गई। राजनीति में विघ्नसंतोषी मानसिकता वाले वो तमाम लोग अब चैन की साँस ले सकेंगे जो कांग्रेस से ज़्यादा पार्टी के प्रथम परिवार से खफा थे और उनकी नज़र में कांग्रेस तब तक दोबारा सत्ता में नहीं लौट सकती जब तक सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पार्टी का नेतृत्व करते रहेंगे। हालाँकि ऐसे लोगों की दिलचस्पी क़तई कांग्रेस की भलाई और उसके उत्थान में नहीं बल्कि कांग्रेस के ख़िलाफ़ इस मुद्दे को लगातार ज़िंदा रखने में थी जिससे जनमत में कांग्रेस और उसके प्रथम परिवार के ख़िलाफ़ माहौल गरमाता रहे और उस पर वंशवाद का आरोप पक्के तौर पर चस्पा हो जाए।