कांग्रेस ने खड़गे को आगे करके भाजपा के आदिवासी कार्ड का माकूल जवाब दिया है। एक तरह से इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज में राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को आगे लाकर देश के करीब दस फीसदी आदिवासियों को यह संदेश दिया था कि राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर एक आदिवासी महिला को बिठाने का काम पहली बार उनकी अगुआई में भाजपा ने किया है, कुछ उसी तरह राहुल गांधी ने कांग्रेस के शीर्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे करके देश के 22 फीसदी दलितों को कांग्रेस के साथ जोड़ने की कोशिश की है।
खड़गे 2024 में बन सकते हैं कांग्रेस का तुरूप का पत्ता?
- विश्लेषण
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- 30 Oct, 2022

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे की उम्मीदवारी से कांग्रेस को क्या फायदा होगा? क्या दलित और दक्षिण भारत से उनके होने का फायदा कांग्रेस को 2024 में मिल पाएगा?
कांग्रेस हाईकमान के करीबी सूत्रों का यहाँ तक कहना है कि अगर 2024 में लोकसभा चुनावों के बाद 2004 की तरह गैर भाजपा दलों की कोई सियासी खिचड़ी पकती है और कांग्रेस इतनी सीटें जीत लेती है कि तमाम गैर भाजपा दल उसका नेतृत्व मानने को विवश हो जाएं तो कोई ताज्जुब नहीं होगा कि जैसे 2004 में सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को देश की चाबी सौंप कर आजाद भारत को पहला सिख (अल्पसंख्यक) प्रधानमंत्री देने का श्रेय लिया था, कुछ उसी अंदाज में राहुल गांधी भी खड़गे की ताजपोशी करवाकर देश को पहला दलित प्रधानमंत्री देने का श्रेय अपने और कांग्रेस के लिए ले सकते हैं। और पहले दलित प्रधानमंत्री के रास्ते की रुकावट बनने का कलंक कोई दल शायद ही ले। सबकुछ ठीक रहा तो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस इस संदेश के साथ भी जा सकती है।