वर्ष 2017 में गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे थे। कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे कांग्रेस के पक्ष में एक अवसर की तरह देख रहे थे। इसके पीछे दो मूल कारण थे। वर्ष 2000 के बाद पहला अवसर था जब गुजरात में बीजेपी मोदी से अलहदा किसी मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ रही थी। दूसरा कारण हाल के दिनों में गुजरात में उभरा पाटीदार आन्दोलन था। इस दरम्यान जातीय संघर्ष की हवा भी राजनीतिक नारों में गूँजने लगी थी।