गोदी मीडिया सिर्फ हमारे देश की ही बीमारी नहीं है, इसका एक लम्बा इतिहास है। हिटलर और गोएबल्स के दौर से लेकर आज तक यह हर दौर में एक नए रूप में, नए देश में खड़ा नजर आता है। हर देश में यह नेता के महिमामंडन की प्रक्रिया में इस हद तक पहुंच जाता है कि वह उस नेता को किसी अवतार के रूप में पेश करने लगता है। उसके हर काम को वह ‘मास्टर स्ट्रोक’ जैसी अनेक संज्ञाओं से सराहता रहता है।

चीन का मीडिया माओ से ज्यादा जिनपिंग की तारीफों के पुल बांधता रहता है और माओ के सिद्धांतों को अप्रासंगिक लिखने तक की हिम्मत दिखा रहा है।
इन झूठी सराहनाओं में वह नेता ऐसा बहने लगता है कि कालान्तर में इसका खामियाजा उस देश और वहां की जनता को उठाना पड़ता है। दुनिया के कई देश और वहां की जनता इसका उदाहरण हैं, जो इस प्रकार के "गढ़े गए नेताओं" के निर्णयों से त्रस्त भी हुए हैं! तो क्या हमारे पड़ोसी देश चीन में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है?