किशोर-किशोरियों से दुष्कर्म के अपराध के लिए क़ानून में मौत की सज़ा का प्रावधान किए जाने के बावजूद इस तरह की घटनाओं में कमी नहीं आना चौंकाने वाली बात है। ऐसा लगता है कि इस तरह के अपराध करने की मानसिकता वाले व्यक्तियों को अब क़ानून का ख़ौफ़ ही नहीं रह गया है जो अत्यधिक चिंता की बात है।