जब आप अपना कर्तव्य नहीं करते तो किसी भी आलोचना से बचने का सबसे सरल तरीका यही है कि जिसके लिए आपने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया, उसके ओंठ खोलने से पहले ही आप कोई सम्बद्ध-असम्बद्ध प्रश्न कर दें तो फिर सामने वाला अपना प्रश्न या शिकायत भूलकर जवाब ढूँढ़ने में ही लग जाएगा। जैसे कि जब कोई यह शिकायत करने आये कि बिल समय पर जमा कराते रहने पर भी हमारे यहां पानी क्यों नहीं आ रहा है ? तो उसकी बात का उत्तर देने की बजाय उसी से प्रश्न कर दें कि जब देश का विभाजन हुआ तब तू क्या कर रहा था ? या जब गाँधी जी की हत्या हुई तब तू क्या कर रहा था ?

देश में चीता आखिरी बार 1952 में देखा गया था। विलुप्त हो गई चीता प्रजाति को देखते हुए इस बार नामीबिया से चीतों को मध्य प्रदेश के पालपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क लाया गया है।
अरे, भाई हम तो उस समय साढ़े पांच साल के थे। पहली कक्षा में पढ़ रहे थे। उस दिन दिल्ली से तीन सौ किलोमीटर दूर अपने गांव में एक शादी में गए हुए थे। जीम रहे थे तभी किसी ने आकर लड़की के बाप को खबर दी कि किसी नाथूराम गोडसे नाम के सच्चे ‘देशभक्त’ ने गाँधी जी की हत्या कर दी है ? रंग में भंग पड़ गया। किसी तरह से लोगों ने भारी मन से काम समेटा। अब ज़्यादा जानकारी चाहिए तो किसी हिन्दू महासभा के पुराने और कर्मठ कार्यकर्ता से पूछो कि किसने नाथूराम को बंदूक, गोलियां उपलब्ध करवाईं और योजनाबद्ध तरीके से यह पुण्य कार्य करवाया। लेकिन उन से कोई नहीं पूछेगा।
आज जैसे ही तोताराम आया, हमने भी बस, कुछ इसी अंदाज़ में पूछा- “तोताराम, भारत कैसे दौड़ेगा ?”
तोताराम ने पूछा- “कौन भारत ?”
हमने कहा- “भारत को नहीं जानता? अपना महान देश भारत, विश्वगुरु भारत।”