वित्त मंत्रालय से आया अप्रैल फूल का झटका तो वापस हो गया। लेकिन यह सवाल हवा में तैर रहा है कि एनएससी, पीपीएफ़ और बाक़ी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर आगे भी बरक़रार रहेगी या फिर पाँच राज्यों के चुनाव ख़त्म होने के बाद यानी अगली तिमाही में यहाँ फिर कटौती होगी?

इन सभी योजनाओं की शुरुआत की गई थी ताकि आम जनता में बचत की आदत डाली जा सके, उनका पैसा सुरक्षित हाथों में रहे और सरकार को विकास योजनाओं के लिए पैसा भी मिल सके। योजनाओं की सफलता का सबूत है कि देश भर में घरेलू बचत का अस्सी परसेंट से भी ज़्यादा हिस्सा इन्हीं स्क़ीमों में जाता है।
यह सवाल हवा में तैर रहा है, लेकिन इसका मतलब यह क़तई नहीं है कि इसके पीछे कोई ठोस ज़मीन नहीं है। कहा गया है कि वित्त मंत्रालय से पीपीएफ़, एनएससी, पोस्ट ऑफ़िस टाइम डिपॉजिट, सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम, डाकघर बचत खाते, रिकरिंग डिपॉजिट, किसान विकास पत्र और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी स्कीमों में ब्याज कम करने का जो आदेश जारी हुआ वो भूल से जारी हो गया था। यह बताने के लिए वित्त मंत्री ने अंग्रेजी में शब्द इस्तेमाल किया ओवरसाइट। शब्दकोश में इसके कई अर्थ हैं। पहला और प्रचलित अर्थ तो है निगरानी या नज़र रखना। पूर्व केंद्रीय सचिव अनिल स्वरूप ने अपने ट्वीट में चुटकी भी ली है कि अगर ओवरसाइट इस्तेमाल की जा रही होती तो शायद यह ओवरसाइट न होती। मतलब यह है कि अगर कामकाज पर किसी की नज़र होती तो ऐसी चूक या ग़फलत नहीं होती। शब्दकोष में ओवरसाइट का दूसरा अर्थ चूक ही है। यानी एक ऐसी ग़लती जो नज़र से चूक गई।