बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं। लगभग सभी जनमत सर्वेक्षणों में तेजस्वी यादव की बढ़त दिखायी गयी थी। तेजस्वी की विशाल रैलियों में भारी बेरोज़गारी, नौकरियों की तलाश में बिहारियों के अन्य राज्यों में पलायन जैसे मुद्दे छाये रहे फिर भी एनडीए ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि बिहार के साथ-साथ अधिकांश अन्य भारतीय राज्यों में भी मतदाता इस बात से चिंतित नहीं हैं कि उनके राज्य में ग़रीबी, बेरोज़गारी, कुपोषण, स्वास्थ्य सेवा, बढ़ती क़ीमतों, भ्रष्टाचार आदि मुद्दे उनके लिये अहम हैं। और इसके मद्देनज़र वो मतदान करें। साफ़ है कि केवल जाति और धर्म ही महत्व रखता है।
पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी को फ़ायदा पहुँचायेंगे ओवैसी
- विचार
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- 12 Nov, 2020

मेरी भविष्यवाणी है कि आगामी पश्चिम बंगाल चुनाव में भी बीजेपी बहुमत हासिल करेगी। पश्चिम बंगाल में जाति का अधिक महत्व नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में धर्म महत्वपूर्ण हो गया है। राज्य पहले धर्मनिरपेक्षता का गढ़ था। दोनों प्रमुख दलों, कांग्रेस और सीपीएम धर्मनिरपेक्ष थे लेकिन हाल के वर्षों में राज्य धार्मिक तर्ज पर बड़े पैमाने पर ध्रुवीकृत हो गया है। इसका दोष मुख्य रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जाना चाहिए।