गुजरात और हिमाचल की विधानसभाओं ,दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमसीडी) और मैनपुरी (यूपी) की लोक सभा सीट सहित कुछ राज्यों (राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ ) के उप-चुनावों के नतीजों के बाद देश के मतदाताओं का बीजेपी के नाम संदेश क्या समझा जा सकता है ? सच्चाई है कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत छवि ने गुजरात में चुनाव परिणामों के पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये हैं पर इस सवाल का जवाब मिलना बाक़ी है कि क्या देश के दूसरे हिस्सों में नरेंद्र मोदी का प्रभाव और बीजेपी की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है !  क्या पार्टी स्वीकार करना चाहेगी कि गुजरात में हासिल हुई 156 सीटों की उपलब्धि को हिमाचल, दिल्ली और अन्य राज्यों के उपचुनावों की हार ने फीका कर दिया है ?